फूलों की घाटी जिसे वैली ऑफ फ्लावर्स भी कहते हैं यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 13000 फीट की ऊंचाई पर है। यह घाटी नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्दयान का ही भाग है, नन्दा देवी के2 और कंचनजंघा के बाद भारत की तीसरी और विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी है।
इस फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के फूल देखने को मिलते हैं जिनमें से उत्तराखण्ड का राजकीय पुष्प ब्रह्म कमल भी है। यह खूबसूरत वैली 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली हुई है जो अपने-आप में एक स्वर्ग जैसी है इसीलिए यूनेस्को ने 1982 में विश्व धरोहर में शामिल कर लिया।
उत्तराखण्ड में स्थित यह फूलो की घाटी प्रकृति प्रमियों, ट्रकर्स, और एडवंचर के शौकीन लोगों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इस वैली ऑफ फ्लावर का ट्रेक बहुत ही रोमांचक होता है इसके रास्ते में कल-कल करते झरनें, नदियॉं, ग्लेशियर, ऊंचे-ऊंचे पहाड और बादलों को अपने पास से गुजरते हुए देखना किसी सपने जैसा लगता है जिसे जिन्दगी में कभी भुलाया नहीं जा सकता।
इस फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने 1931 में की थी तथा इस वैली से प्रभावित होकर 1938 में फ्रैंक एस स्मिथ ने वैली ऑफ फ्लॉवर्स नाम की एक पुस्तक प्रकाशित की तभी से इस घाटी को वैली ऑफ फ्लॉवर्स नाम से जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे परियों का निवास कहा करते थे। इस घाटी का वर्णन रामायण में भी मिलता है माना जाता है कि जब भगवान राम के अनुज भाई लक्ष्मण जी जब मुर्क्षित हो गये थे जब हनुमान जी संजीवनी की तालाश में यहीं आये थे। यहॉं पर पुष्पों के अलावॉं अनेकों प्रकार की जडी-बूटियॉं पायी जाती हैं जिनसे कई प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता है।
फूलों की घाटी, उत्तराखण्ड कब जायें – best time to visit in vally of flowers in hindi
फूलों की घाटी दुनिया की तीसरी सबसे उंची चोटी नंदादेवी का भाग है और यहॉ भारी बर्फबारी होती है इसलिए यहॉ वर्ष के ज्यादातर महीनों में बर्फ जमी रहती है उत्तराखण्ड टूरिज्म बोर्ड फिलहाल इसे मई महीने में पर्यटकों के लिए खोल देता है जो सितम्बर तक खुला रहता है।
मई-जून के महीनें में यहॉ पर ग्लेशियर और बर्फ से ढके उंचे-उंचे पहाड देखने को मिलेंगे और जुलई में ज्यादातर यहॉं बारिश होती रहती है चारों ओर हरियाली ही नजर आती है और हजारों की संख्या में फूलों के पौधे देखने को मिलेंगे।
अगस्त और सितम्बर फूलों की घाटी जाने का सबसे अच्छा समय होता है इस समय यह घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं लगती है सैलानी यहाँ आकर अपने आप को भूल जाते हैं और यहाँ की प्रकृति में खो जाते हैं इस समय यहॉं सैकडों की संख्या में तरह-तरह के खूबसूरत फूल देखने को मिलेंगे चारों ओर हरे-भरे पहाड और नीला आसमान एक स्वर्ग के सामान लगता है।
फूलों की घाटी कैसे पहुँचें (How to Reach Valley of Flower in Hindi)
फूलों की घाटी पहुँचने के लिए सबसे पहले देहरादून या फिर हरिद्वार पहुँचना होगा यह दोनों शहर पूरे भारत से अच्छी तरह से रोड और रेल माध्यम से जुडे हैं इसके अलावा देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। फिर यहॉ से बस अथवा टैक्सी करके गोविंदघाट तक जाना होगा जिसकी दूरी लगभग 300 किमी है उसके बाद गोविंदघाट से घांघरिया ट्रेक करके जाना होता है जो लगभग 10 किलोमीटर दूर है। घांघरिया में रात रूकने के बाद सुबह फूलों की घाटी के लिए निकलना होता है जिसमें लगभग 4 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है।
इन्हें भी पढें…. कुल्लू-मनाली हिमाचल प्रदेश