हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य के सबसे खूबसूरत और सबसे पवित्र शहरों में से एक है। हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ होता है – ‘भगवान का वास’ अर्थात जहां देवता स्वयं विराजमान करते हैं। हरिद्वार में घूमने की जगह की बात करें तो हरिद्वारा अपने आप में एक अलौकिक स्थान है जहां पर मंदिरों के घंटियों की गूंज, मॉं गंगा की कल-कल करती हुई पानी की धारा और देश विदेश से आए हुए ऋषि-मुनियों को देखकर लगता है जी हां यहां भगवान स्वयं विराजमान करते हैं।
माँँ गंगा महान हिमालय के गोमुख नामक स्थान से भागीरथी के रूप में निकलती हैं उसके बाद देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर संगम बनाती हैं तभी मां गंगा कहलाती हैं। गोमुख से हरिद्वार तक पहुंचने में करीब 253 किलोमीटर यह दूरी तय करने के बाद एक पूर्ण रूप से मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं।
हरिद्वार में 12 वर्ष में महाकुंभ और 6 वर्ष में प्रयागराज, उज्जैन और नासिक की तरह महाकुंभ का आयोजन किया जाता है जिसमें शामिल होने के लिए देश विदेश के लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा यहां के प्रसिद्ध घाट हर की पौड़ी की गंगा महाआरती विश्व प्रसिद्ध है।
हरिद्वार में घूमने की प्रमुख जगह – Famous Tourist Places Haridwar in Hindi
हरिद्वार धार्मिक दृष्टि से ही नहीं प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी बहुत खूबसूरत है जो हर साल लाखों से सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है। चलिए एक-एक करके देखते हैं हरिद्वार में घूमने की जगह और हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर…..।
1. मॉं मनसा देवी मंदिर – Mansa Devi Haridwar in Hindi

मॉं मनसा देवी हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों पर समुद्र तल से 178 मीटर की ऊंचाई बिल्वा पर्वत स्थित है। माना जाता है कि मां मनसा देवी का जन्म भगवान शिव के मस्तक से हुआ था इसी कारण इन्हें मनसा कहा जाता है इसके अलावा इन्हें नागकन्या के नाम से भी जाना जाता है।
मॉं मनसा देवी को मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी कहा जाता है इसलिए हर साल लाखों भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर माता के मंदिर में पहुंचते हैं और एक पवित्र धागा बांधते हैं मनोकामना पूर्ण होने पर उस पवित्र धागे को खुलते हैं। यह मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसे थोड़ी दूर पैदल चलकर रोपवे से जा सकते हैं या फिर पैदल ट्रेकिंग करके भी पहुंच सकते हैं। और पढ़ें….
2. हरिद्वार में हर की पौड़ी गंगा आरती – Har Ki Pauri Ganga Arti in Hindi

हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे बड़ा घाट और सबसे पवित्र घाट माना जाता है कहा जाता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर की पौड़ी में प्रत्येक शाम को 6:00 से 7:00 के बीच में भव्य गंगा आरती होती है पंडित भगवा रंग के वस्त्र धारण करके हाथों में बड़ी-बड़ी मसाले करके मां गंगा का गुणगान करते हैं और दीप जलाए जाते हैं जिसका प्रकाश मां गंगा के बहते हुए पानी पर जब पड़ता है तब एक अलौकिक दृश्य उत्पन्न होता है।
इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में हर शाम को हर की पौड़ी पहुंचते हैं और मां गंगा की आरती में शामिल होते हैं उनका गुणगान करते हैं। अगर आप हरिद्वार जा रहे हैं तो यहां की गंगा आरती में जरूर शामिल होंं। मॉा गंगा भागीरथी और अलकनंदा के रूप में हिमालय के ग्लेशियर से निकलती हैं और मात्र 250 किलोमीटर की दूरी तय करके पहाड़ों से उतर कर हरिद्वार तक पहुंचतीं हैं। इसलिए हरिद्वार में गंगा का पानी बहुत ही ठंडा और बहुत ही तेज धारा में बहता है। स्नान करते वक्त सावधानी जरूर बरतें डुबकी लगाते वक्त जंजीर हाथ में पकड़ कर रखें और पढें
3. माँ चंडी देवी – Chndi Devi Haridwar in Hindi

माँ चंडी देवी का मंदिर हरिद्वार में गंगा नदी के उस पार शिवालिक पहाड़ियों पर मौजूद नील पर्वत पर स्थित है। मां चंडी के दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और माता से मनोकामनाएं मांगते हैं। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार जब शुंभ और निशुंभ नाम के 2 दानवों ने जब भगवान इंद्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया था तब इंद्रलोक से सभी देवता भाग गए थे और माता पार्वती से गुहार लगाते हैं।
माता पार्वती ने एक देवी को प्रकट किया उस देवी ने इन दोनों दानव शुंभ और निशुंभ का वध किया थाा। और वध करने के पश्चात इसी नील पर्वत पर कुछ समय विश्राम किया जिसके बाद यहां पर माता का मंदिर बनवाया गया था। यह मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर दूर होगा जिसके बाद 1 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है पैदल यात्रा के अलावा केबल कार की भी सुविधा उपलब्ध है। और पढें
4. भारत माता मंदिर हरिद्वार – Bharat Mata Mandir in Hindi
हरिद्वार के सप्त सरोवर में 180 फीट ऊंची भारत माता की 8 मंजिला इमारत बनी हुई है जिसकी स्थापना स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने की थी तथा उद्घाटन उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था। यहां पर किसी देवी या देवता की मूर्ति नहीं है बल्कि भारत का नक्शा बना हुआ है जो भारत माता को प्रस्तुत करता है। इसी नक्शे में केसरिया वस्त्र धारण किए हुए भारत माता की मूर्ति बनी हुई है जिसे मदर ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। यह मंदिर भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है।
5. पतंजलि योग पीठ हरिद्वार – Patanjali Yog Peeth in Haridwar hindi
जो सैलानी हरिद्वार घूमने जाते हैं वह पतंजलि योगपीठ घूमना पसंद करते हैं यह एक बहुत बड़ा आश्रम है जो ऋषि रामदेव की योजना है। इस केंद्र में आयुर्वेद पर शोध किया जाता है, योग साधना पर भी अध्ययन किया जाता है और शिक्षित किया जाता है। इसके अलावा यहां पर पतंजलि की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है और देशभर में पहुंचाया जाता है। इसलिए अगर आप हरिद्वार जा रहे हैं तो यहां पर जा सकते हैं और सेहत से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
चिल्ला वन्यजीव अभ्यारण्य हरिद्वार – Chilla Wildlife Sanctuary in Hindi
चिल्ला वन्यजीव अभ्यारण्य हरिद्वार से 10 किलोमीटर दूर गंगा नदी के पूर्वी तट 249 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। इस वन्य जीव अभ्यारण की स्थापना 1977 में की गई थी जिसे बाद में राजा जी वन्य जीव अभ्यारण में जोड़ दिया गया जिसके बाद से यह अभ्यारण राजाजी नेशनल पार्क में शामिल हो गया।
यहां पर पाए जाने वाले प्रमुख पशु पक्षी हैं बाघ, हाथी और भालू प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। चिल्ला वन्यजीव अभ्यारण्य में जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से लेकर के मई तक होता है इसके अलावा यहां पर हाथी की सवारी और वन्य जीव सफारी भी कराई जाती है।
हरिद्वार में घूमने का सही समय क्या है?
हरिद्वार घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर-नवंबर और मार्च-अप्रैल का होता है क्योंकि इस समय मौसम बहुत सुहावना होता है जिससे पर्यटकों को घूमने में काफी अच्छा लगता है वैसे तो पर्यटक हरिद्वार वर्ष भर आते रहते हैं खासतौर से जब चार धाम यात्रा की शुरुआत होती है क्योंकि सैलानी चार धाम यात्रा हरिद्वार से ही होकर जाते हैं।
हरिद्वार कैसे पहुंचे?
हरिद्वार भारत के सभी बड़े शहरों जैसे दिल्ली (242 किमी.) लखनऊ (720 किमी.) जयपुर (480 किमी.) भोपाल (956 किमी.) देहरादून (51 किमी.) और चंडीगढ़ (216किमी.) इनके अलावा और भी बड़े शहरों से आसानी से ट्रेन अथवा बस या फिर हवाई जहाज से आसानी से हरिद्वार पहुंच सकते हैं।
आशा करता हूँ कि आप सभी को हरिद्वार में घूमने की जगह पसंद आयी हों……धन्यवाद!!!!
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