देवप्रयाग उत्तराखण्ड में टिहरी गढ़वाल जिले का एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है जहॉं भारत की दो पवित्र नदियों भागीरथी और अलकनंदा का संगम होता है। इन दोनों नदियों के मिलन के बाद ही जिस नदी का निर्माण होता है उसे गंगा नदी कहा जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि मॉं गंगा नदी का उदृगम यहीं देवप्रयाग से होता है। इसके बाद करीब 200 किलोमीटर हिमालय में बहते हुए ऋषिकेश और हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं और उत्तर भारत से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं
अलकनंदा और भागीरथी का खूबसूरत नजारा हर वर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। भागीरथी का हरे रंग का पानी और अलकनंदा के बदलते रंग का पानी का मिलन अत्यन्त मनमोहक लगता है। यहॉं पर दोनोंं नदियों की पानी की धारा बहुत तेज होती है और पानी भी बहुत ठण्डा होता है इसलिए सैलानियों का यहॉं पर स्नान करना लगभग नामुकिन होता है। भागीरथी की पानी की धारा इतनी तीव्र होती है जिससे उसकी आवाज लगभग एक किलोमीटर की दूरी से सुना जा सकता है।
देवप्रयाग से जुड़ी पौराणिक कथा – Devprayag History in Hindi
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान राम श्रीलंका से रावण का वध करके वापस भारत आ रहे थे तब ऋषि-मुनियों ने यह सलाह दी कि आपने एक ब्राह्मण का वध किया है इसलिए इस दोस को मिटाने के लिए देवप्रयाग उत्तराखण्ड यानी भागीरथी और अलकनंदा संगम के तट पर तपस्या करनी होगी। इसके पश्चात भगवान राम ने इसी पवित्र स्थान पर तपस्या की जिसके पश्चात यह स्थान हिंदू धर्म में एक पवित्र स्थान बन गया।
इसके अलावा एक भी मान्यता है कि जब राजा भागीरथ मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने के लिए मनाया था तब उनके साथ और भी लाखों-करोड़ों देवी देवता इस स्थान पर उतरे थे। इसलिए इस स्थान को देवी देवताओं का संगम भी कहा जाता है।
देवप्रयाग संगम जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Devprayag In Hindi
देवप्रयाग एक अत्यंत खूबसूरत जगह है जहां पर सैलानी वर्षभर जाते रहते हैं देवप्रयाग में सबसे ज्यादा पर्यटक मार्च से लेकर मई तक जाते हैं क्योंकि इस समय यहां का मौसम अनुकूल होता है। इसके पश्चात मानसून का समय चालू हो जाता है जिससे भूस्खलन की संभवाना होती है। ठण्डियों में यानी दिसंबर से फरवनी में भी देवप्रयाग जाया जा सकता है।
अलकनंदा और भागीरथी का मिलन होता है तो बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने काे मिलता है क्योंकि भागीरथी का पानी हरे रंग में दिखाई देता है और अलकनंदा के पानी का रंग वर्ष में करीब तीन चार बार बदलता रहता है कभी हरा रंग कभी भूरा रंग और कभी केसरिया रंग में दिखाई देता है इसलिए पर्यटक को हमेशा यह स्थान लुभाता रहता है।
देवप्रयाग संगम कैसे पहुंचें? – How To Reach Devprayag In Hindi
देवप्रयाग उत्तराखण्ड देश के किसी भी कोने से आसानी से पहुंचा जा सकता है आइए एक-एक करके जानते हैं कि ट्रेन और हवाई जहाज से कैसे पहुंच सकते हैं उत्तराखंड के देवप्रयाग मे।
ट्रेन से देवप्रयाग संंगम कैसे पहुँचें ?
ट्रेन से देवप्रयाग संगम पहुँचने के लिए सबसे पहले हरिद्वार या फिर ऋषिकेश पहुँचना होगा हरिद्वार के लिए देशभर से ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। हरिद्वार पहुँचने के बाद ऋषिकेश जा सकते हैं उसके बाद देवप्रयाग। इसके अलावा हरिद्वार से सीधे भी देवप्रयाग के लिए उत्तराखण्ड की मिनी बसें और टैक्सी भी सीधे देवप्रयाग के लिए मिल जायेंगी।
ऋषिकेश और हरिद्वार से बस द्वारा देवप्रयाग उत्तरखण्ड कैसे जायें? – Rishikesh to Devprayag
ऋषिकेश और हरिद्वार दोनों शहरों से देवप्रयाग संगम के लिए उत्तरखण्ड की बसें और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। हरिद्वार से देवप्रयाग की दूरी लगभग 93 किमी. है और ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी 70 किमी. है। जो बसें केदारनाथ और जोशीमठ या फिर बद्रीनाथ के लिए जाती हैं वे बसे देवप्रयाग से होकर ही गुजरती हैं इसलिए आप इन बसों से आसानी से जा सकते हैं। लेकिन ज्यादातर यह सभी बसें सुबह ही के समय रवाना होती हैं क्योंकि इन्हें केदारनाथ या बद्रीनाथ पहुँचने में शाम हो जाती है।
हवाई जहाज से देवप्रयाग कैसे जायें?
देवप्रयाग का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जिसकी दूरी देवप्रयाग उत्तराखण्ड से लगभग 90 किमी. है। इसके बाद बस या फिर टैक्सी से देवप्रयाग पहुँचा जा सकता है।