मॉं चण्डी देवी का मंदिर उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक हरिद्वार में शिवालिक पहाड़ियों के नील पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है कहा जाता है कि माता चंडी के दर्शन करने के मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं इसीलिए हर वर्ष लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
चंडी देवी से जुड़ी मान्यताऍं
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय शुंभ और निशुंभ नाम के दो दानवों ने देवराज इंद्र के सिंहासन पर कब्जा कर लिया था और सभी देवी देवताओं को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया था। तभी सभी देवी देवताओं ने माता पार्वती से आवाहन किया माता पार्वती से एक देवी प्रकट हुई। उस देवी ने शुंभ और निशुंभ दानवों का वध किया जिसके बाद देवी चंडी और चंडिका कहलाईं। माना जाता है कि माता ने यहीं इसी नील पर्वत पर कुछ देर आराम किया था उसके बाद यहीं पर उनके मंदिर का निर्माण भी करवाया गया था।
माँँ चंडी देवी मंदिर का इतिहास
मां चंडी देवी की मंदिर की स्थापना का श्रेय हिंदू धर्म के प्रसिद्ध स्थान आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में कराया था। लेकिन वर्तमान में जो मंदिर है इसकी इसका पुनर्निर्माण 1929 में कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने करवाया था।
माता के मंदिर के पास ही संकट मोचन हनुमान का भी भव्य मंदिर बना हुआ है जो भक्त माता के दर्शन के लिए जाते हैं वह हनुमान मंदिर में ही दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
यहां पर से शिवालिक पहाड़ियों की खूबसूरत रेंज दिखाई पड़ती है और इसके साथ ही गंगा नदी का हर की पौड़ी घाट और पूरा हरिद्वार शहर की खूबसूरती को देखा जा सकता है।
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार कैसे पहुंचे
मां चंडी देवी की यात्रा करने के लिए सबसे पहले हरिद्वार जाना होगा हरिद्वार देश के सभी बड़े शहरों से रेलवे माध्यम द्वारा जुड़ा हुआ है जिसके कारण आसानी से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा बस और फ्लाइट से भी आसानी से हरिद्वार पहुंचा जा सकता है।
लखनऊ से हरिद्वार की दूरी करीब 720 किमी, दिल्ली से हरिद्वार की दूरी करीब 242 किमी. जबकि मुंबई से हरिद्वार की दूरी 1615 किलोमीटर है।
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से माता चण्डी देवी कैसे जाऍं
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से चंडी देवी मंदिर की दूरी करीब 4 किलोमीटर है स्टेशन के बाहर से ही टैक्सी मिल जाएंगी जो कि करीब 30 से 40 मिनट में पहुंचा देंगी। उसके बाद करीब 1.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है यह यात्रा काफी कठिन होती है क्योंकि सीधी चढ़ाई चढ़ने पड़ती है। इसलिए अगर आप फिट है तो पैदल यात्रा कर सकते हैं नहीं तो केबल कार की सुविधा भी उपलब्ध है।
चण्डी देवी हरिद्वार रोपवे (केबल कार)
हरिद्वार में माता चंडी के दर्शन करने के लिए जो श्रद्धालु पैदल नहीं जा सकते वह रोपवे जिसे केबल कार भी कहा जा सकता है उसके द्वारा आसानी से माता के मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इस रोपवे का किराया एक तरफ का 130 रुपए है जबकि आने जाने का किराया करीब 200 रुपए है।
इन्हें भी पढें…….
1 thought on “मॉं चण्डी देवी मन्दिर हरिद्वार”